হঠাৎ সবকিছু ছেড়ে পেঁচা কেন মা লক্ষ্মীর বাহন, রয়েছে গূঢ় কারণ, জানুন পৌরাণিক গল্প

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মা লক্ষ্মী ধন-দৌলতের দেবী, তাঁর আরাধনায় কাটে অর্থনৈতিক কষ্ট, কিন্তু মা লক্ষ্মীর বাহন কেন পেঁচা? এর পিছনে রয়েছে পুরাণের এক কাহিনি...
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আজ শুক্রবার সনাতম ধর্ম অনুসারে আজ ধনের দেবী মা লক্ষ্মীর আরাধনার দিন৷ আজকের দিনে ভক্তিভরে মা লক্ষ্মীর আরাধনা করেল তাঁর জীবনে ধন সমৃদ্ধি , সুখ-শান্তি বজায় থাকে৷ দেবী লক্ষ্মীর আরাধনায় অর্থকষ্টের নিরসন হয়৷ তিনি বিষ্ণুর পত্নী ও আদিশক্তি৷ প্রতি দেবী-দেবতারাই নিজের বাহন থাকে৷ মা লক্ষ্মীর বাহন পেঁচা৷ পৌরাণিক কাহিনী বলে কেন মা লক্ষ্মীর বাহন পেঁচাই৷ Photo News 18
আজ শুক্রবার সনাতম ধর্ম অনুসারে আজ ধনের দেবী মা লক্ষ্মীর আরাধনার দিন৷ আজকের দিনে ভক্তিভরে মা লক্ষ্মীর আরাধনা করেল তাঁর জীবনে ধন সমৃদ্ধি , সুখ-শান্তি বজায় থাকে৷ দেবী লক্ষ্মীর আরাধনায় অর্থকষ্টের নিরসন হয়৷ তিনি বিষ্ণুর পত্নী ও আদিশক্তি৷ প্রতি দেবী-দেবতারাই নিজের বাহন থাকে৷ মা লক্ষ্মীর বাহন পেঁচা৷ পৌরাণিক কাহিনী বলে কেন মা লক্ষ্মীর বাহন পেঁচাই৷ Photo News 18
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पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, प्राणी जगत की संरचाना करने के बाद एक रोज सभी देवी-देवता धरती पर विचरण के लिए आए. जब पशु-पक्षियों ने उन्हें पृथ्वी पर घूमते हुए देखा तो उन्हें अच्छा नहीं लगा और वह सभी एकत्रित होकर उनके पास गए और बोले आपके द्वारा उत्पन्न होने पर हम धन्य हुए हैं. हम आपको धरती पर जहां चाहेंगे वहां ले चलेंगे. कृपया आप हमें वाहन के रूप में चुनें और हमें कृतार्थ करें.
पौराणिक कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, प्राणी जगत की संरचाना करने के बाद एक रोज सभी देवी-देवता धरती पर विचरण के लिए आए. जब पशु-पक्षियों ने उन्हें पृथ्वी पर घूमते हुए देखा तो उन्हें अच्छा नहीं लगा और वह सभी एकत्रित होकर उनके पास गए और बोले आपके द्वारा उत्पन्न होने पर हम धन्य हुए हैं. हम आपको धरती पर जहां चाहेंगे वहां ले चलेंगे. कृपया आप हमें वाहन के रूप में चुनें और हमें कृतार्थ करें.
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देवी-देवताओं ने उनकी बात मानकर उन्हें अपने वाहन के रूप में चुनना आरंभ कर दिया. जब लक्ष्मीजी की बारी आई तब वह असमंजस में पड़ गई किस पशु-पक्षी को अपना वाहन चुनें. इस बीच पशु-पक्षियों में भी होड़ लग गई की वह लक्ष्मीजी के वाहन बनें. इधर लक्ष्मीजी सोच विचार कर ही रही थी तब तक पशु पक्षियों में लड़ाई होने लगी गई.
देवी-देवताओं ने उनकी बात मानकर उन्हें अपने वाहन के रूप में चुनना आरंभ कर दिया. जब लक्ष्मीजी की बारी आई तब वह असमंजस में पड़ गई किस पशु-पक्षी को अपना वाहन चुनें. इस बीच पशु-पक्षियों में भी होड़ लग गई की वह लक्ष्मीजी के वाहन बनें. इधर लक्ष्मीजी सोच विचार कर ही रही थी तब तक पशु पक्षियों में लड़ाई होने लगी गई.
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इस पर लक्ष्मीजी ने उन्हें चुप कराया और कहा कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन मैं पृथ्वी पर विचरण करने आती हूं. उस दिन मैं आपमें से किसी एक को अपना वाहन बनाऊंगी. कार्तिक अमावस्या के रोज सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मीजी की राह निहारने लगे.
इस पर लक्ष्मीजी ने उन्हें चुप कराया और कहा कि प्रत्येक वर्ष कार्तिक अमावस्या के दिन मैं पृथ्वी पर विचरण करने आती हूं. उस दिन मैं आपमें से किसी एक को अपना वाहन बनाऊंगी. कार्तिक अमावस्या के रोज सभी पशु-पक्षी आंखें बिछाए लक्ष्मीजी की राह निहारने लगे.
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रात्रि के समय जैसे ही लक्ष्मीजी धरती पर पधारी उल्लू ने अंधेरे में अपनी तेज नजरों से उन्हें देखा और तीव्र गति से उनके समीप पंहुच गया और उनसे प्रार्थना करने लगा की आप मुझे अपना वाहन स्वीकारें.लक्ष्मीजी ने चारों ओर देखा उन्हें कोई भी पशु या पक्षी वहां नजर नहीं आया. तो उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया. तभी से उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
रात्रि के समय जैसे ही लक्ष्मीजी धरती पर पधारी उल्लू ने अंधेरे में अपनी तेज नजरों से उन्हें देखा और तीव्र गति से उनके समीप पंहुच गया और उनसे प्रार्थना करने लगा की आप मुझे अपना वाहन स्वीकारें.लक्ष्मीजी ने चारों ओर देखा उन्हें कोई भी पशु या पक्षी वहां नजर नहीं आया. तो उन्होंने उल्लू को अपना वाहन स्वीकार कर लिया. तभी से उन्हें उलूक वाहिनी कहा जाता है. (Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं मान्यताओं पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)
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